
Vihar Vaishnav: एमआईएसएस एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण यानी के शोर्ट टर्म लोन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का शोर्ट टर्म लोन मिलता है, जिसमें लोन देने वाली संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त, समय पर ऋण चुकाने वाले किसान शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन के रूप में 3 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि के लिए पात्र होते हैं, जिससे केसीसी ऋण पर उनकी ब्याज दर प्रभावी रूप से 4 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
केवल पशुपालन या मत्स्यपालन के लिए ही लिए गए ऋण पर ब्याज लाभ 2 लाख रुपये तक लागू है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, योजना की संरचना या अन्य घटकों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है।
देश में 7.75 करोड़ से ज़्यादा केसीसी खाते हैं। कृषि के लिए संस्थागत ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए इस सहायता को जारी रखना बहुत ज़रूरी है, जो उत्पादकता बढ़ाने और छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है।
केसीसी के माध्यम से संस्थागत ऋण संवितरण 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गया है। बयान में कहा गया है कि कुल कृषि ऋण प्रवाह भी वित्त वर्ष 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
अगस्त 2023 में किसान ऋण पोर्टल के शुभारंभ जैसे डिजिटल सुधारों ने क्लेम प्रोसेसिंग में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा दिया है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मौजूदा ऋण लागत प्रवृत्तियों, औसत एमसीएलआर और रेपो दर में उतार-चढ़ाव को देखते हुए, ग्रामीण और सहकारी बैंकों को समर्थन देने और किसानों के लिए कम लागत वाले ऋण तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ब्याज सहायता दर को 1.5 प्रतिशत पर बनाए रखना आवश्यक है।
बयान में कहा गया, “मंत्रिमंडल का निर्णय किसानों की आय दोगुनी करने, ग्रामीण ऋण ईको सिस्टिम को मजबूत करने तथा समय पर और किफायती ऋण पहुंच के माध्यम से कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।”